ग़ाज़ीपुर में गिरफ़्तार सत्याग्रह पदयात्रियों ने जेल से भारतवासियों के नाम एक खुला पत्र लिखा है। सत्याग्रहियों ने अपने पत्र की शुरुआत में लिखा है, ‘आज जब यह पत्र आपको लिख रहे हैं तब हम 9 सत्याग्रही गाजी़पुर जिला के बैरक नं.10 व एक महिला साथी जो पेशे से पत्रकार हैं महिला बैरक में बंद हैं। यह बिना जाने की हमारा गुनाह क्या है और जिला प्रशासन हमें कब तक बंद रखेगा। हम सभी सत्याग्रहियों ने अनशन पर जाने का फैसला किया है, जहां हमने 13 फरवरी से अन्न का त्याग कर दिया है।’
बता दें कि 13 फरवरी की शाम पांच बजे से सत्याग्रहियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ज़िलाधिकारी और जेल सुप्रिटेंडेंट को लिखे अपने पत्र में सभी पदयात्रियों ने रिहा होने तक इस भूख हड़ताल को जारी रखने की बात लिखी थी। पत्र में ये भी लिखा गया था कि ‘हमें बिना किसी उचित कारण के गिरफ्तार किया गया है, जो हमारे मानवाधिकार का उल्लंघन है, इसलिए जब तक हम रिहा नहीं हो जाते हमारा ये संघर्ष जारी रहेगा।’
गौरतलब है कि चौरीचौरा गोरखपुर से राजघाट नई दिल्ली के लिए निकली ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करके 11 फरवरी मंगलवार को ग़ाज़ीपुर पहुंची। जहां पुलिस ने पदयात्रियों को शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया था। 12 फरवरी, बुधवार को इनकी ज़मानत की अर्जी स्थानीय एसडीएम के यहां लगायी गयी। और एसडीएम ने ज़मानत की बहुत अजीब सी शर्त रखी। इस शर्त के मुताबिक, जमानत के लिए प्रतिव्यक्ति 2.5 लाख के दो बेल बॉन्ड भरे जाएं और साथ ही हर बंदी के लिए गारंटर के तौर पर दो राजपत्रित अधिकारी ज़मानत दें। गिरफ्तार किए गए लोगों में अधिकतर बीएचयू के छात्र हैं, जिनमें प्रियेश पांडे, मुरारी कुमार, राज अभिषेक, अनंत प्रकाश शुक्ल, नीरज राय, अतुल यादव शामिल हैं। इनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा, शेष नारायण ओझा, रविंद्र कुमार रवि और जानी मानी महिला पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत भी शामिल हैं।